क्या विवादित शपथ के कारण असदुद्दीन ओवैसी को अयोग्य ठहराया जा सकता है?

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क्या विवादित शपथ के कारण असदुद्दीन ओवैसी को अयोग्य ठहराया जा सकता है?

अपने अजीबोगरीब संवादों के लिए मशहूर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को 18वीं लोकसभा के सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण करते समय एक और विवाद खड़ा कर दिया। उनके इस बयान से सत्ता पक्ष में हंगामा मच गया जिसके बाद अध्यक्ष ने आदेश दिया कि इस टिप्पणी को रिकॉर्ड से हटा दिया जाए।

निचले सदन की सदस्यता की शपथ लेते समय ओवैसी ने अपने भाषण का समापन "जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन" के नारे से किया। इस बयान के बाद विभिन्न क्षेत्रों से व्यापक चर्चा और आलोचना हुई।

 

औचित्य और विवाद

 हंगामे के जवाब में हैदराबाद के सांसद ने फिलिस्तीन पर महात्मा गांधी के विचारों का हवाला देते हुए अपने नारों को उचित ठहराया। "अन्य सदस्य भी अलग-अलग बातें कह रहे हैं... यह कैसे गलत है? मुझे संविधान के प्रावधान बताएं," ओवैसी को पीटीआई ने उद्धृत किया। संभावित अयोग्यता जैसे ही नारे ने काफी ध्यान आकर्षित किया। सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने मंगलवार देर रात बताया कि एआईएमआईएम सांसद के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज की गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में जैन ने लिखा "श्री हरि शंकर जैन द्वारा भारत के राष्ट्रपति के समक्ष श्री असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के संदर्भ में शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराने की मांग की गई है।" भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 संसद के सदस्यों को अयोग्य ठहराने के आधार और प्रक्रियाओं को संबोधित करते हैं।

 

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ओवैसी की प्रार्थना पर कड़ी आपत्ति जताई धर्मनिरपेक्ष शपथ ग्रहण समारोह के दौरान धार्मिक मुहावरों का इस्तेमाल करने की उपयुक्तता पर सवाल उठाया। मालवीय ने एक्स पर अपनी चिंताएँ साझा करते हुए कहा, "फिलिस्तीन को छोड़कर, धर्मनिरपेक्ष भारत में शपथ लेते समय धार्मिक मुहावरों का इस्तेमाल करना क्या उचित है? क्या ओवैसी धर्म को बढ़ावा देने और एक पवित्र अवसर को सांप्रदायिक बनाने के दोषी हैं?"

 

मालवीय ने बताया कि फिलिस्तीन के लिए समर्थन दिखाने को दूसरे देश के प्रति वफादारी के रूप में समझा जा सकता है, जो वर्तमान नियमों के अनुसार अयोग्य ठहराए जाने का आधार है। उन्होंने अपनी बात पर ज़ोर देने के लिए अपने पोस्ट के साथ एक वीडियो क्लिप भी शेयर की।

 

निष्कर्ष

इस घटना ने आधिकारिक समारोहों के दौरान राजनीतिक अभिव्यक्तियों की उपयुक्तता और संसद सदस्यों के लिए संभावित परिणामों पर एक गरमागरम बहस शुरू कर दी है। ओवैसी के खिलाफ शिकायत पर अब आगे की कार्रवाई का इंतजार है, और इसका परिणाम भविष्य में इसी तरह के मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकता है।


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