एलन मस्क का ब्रेन चिप: लकवाग्रस्त मरीज के लिए नई उम्मीद
क्या आपने कभी सोचा है कि दिमाग की ताकत से टीवी ऑन किया जा सकता है या वीडियो गेम खेला जा सकता है? यह सुनने में किसी साइंस-फिक्शन फिल्म की कहानी लग सकती है, लेकिन एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक इसे हकीकत में बदल रही है। हाल ही में, न्यूरालिंक के ब्रेन चिप इम्प्लांट ने एक लकवाग्रस्त मरीज को अपने दिमाग के सिग्नल्स से टीवी चालू करने और वीडियो गेम खेलने में मदद की है। यह तकनीक न केवल चमत्कारी है, बल्कि उन लोगों के लिए एक नई उम्मीद भी लेकर आई है जो शारीरिक अक्षमताओं से जूझ रहे हैं। आइए, इस क्रांतिकारी तकनीक के बारे में और जानें।
न्यूरालिंक क्या
है?
न्यूरालिंक,
एलन मस्क की न्यूरोटेक्नोलॉजी
कंपनी, 2016 में शुरू हुई
थी। इसका मिशन है
दिमाग और कंप्यूटर के
बीच सीधा संबंध स्थापित
करना। इस कंपनी का
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) एक छोटा सा
चिप है, जिसे दिमाग
में प्रत्यारोपित किया जाता है।
यह चिप दिमाग के
सिग्नल्स को पढ़कर उन्हें
डिजिटल कमांड में बदल देती
है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को नियंत्रित करना
संभव हो जाता है।
इसे "टेलीपैथी" चिप भी कहा
जाता है, क्योंकि यह
बिना किसी शारीरिक हलचल
के दिमाग से काम करता
है।
मियामी में
हुआ
चमत्कार
हाल
ही में, मियामी की
यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी मिलर
स्कूल ऑफ मेडिसिन में
न्यूरालिंक की क्लिनिकल ट्रायल
में एक सैन्य दिग्गज जिसे आरजे के नाम
से जाना जाता है को यह ब्रेन चिप
प्रत्यारोपित की गई। आरजे
एक मोटरसाइकिल दुर्घटना के बाद लकवाग्रस्त
हो गए थे और
उनके दोनों हाथ काम नहीं
कर रहे थे। इस
चिप की मदद से
आरजे अब अपने दिमाग
के सिग्नल्स से टीवी चालू
कर सकते हैं और
वीडियो गेम खेल सकते
हैं। यह नजारा देखकर
वैज्ञानिक और डॉक्टर भी
हैरान हैं।
I am excited to announce that we @umiamimedicine and @MiamiProject, have successfully implanted our first patient, RJ, as part of @neuralink's PRIME Study!
— Seth Tigchelaar, MD/PhD (@sstigchelaar) June 28, 2025
Thank you @elonmusk for revolutionizing therapies for our patients! pic.twitter.com/ES4VULbVG6
इस ट्रायल को "द मियामी प्रोजेक्ट
टू क्योर पैरालिसिस" के तहत आयोजित
किया गया जो रीढ़
की हड्डी की चोट या
एएलएस (amyotrophic
lateral sclerosis) जैसी
बीमारियों से प्रभावित लोगों
की मदद के लिए
काम करता है। न्यूरालिंक
का यह इम्प्लांट, जिसे
"लिंक" या "टेलीपैथी" कहा जाता है,
दिमाग के मोटर कॉर्टेक्स
में बारीक तारों के जरिए सिग्नल्स
को रिकॉर्ड करता है और
उन्हें डिजिटल कमांड में बदल देता
है।
कैसे काम
करता
है
यह
ब्रेन
चिप?
न्यूरालिंक
का चिप इतना छोटा
है कि इसे पांच
सिक्कों के ढेर जितना
माना जा सकता है।
इसमें 1,000 से ज्यादा इलेक्ट्रोड्स
होते हैं, जो दिमाग
के न्यूरॉन्स से सिग्नल्स को
पढ़ते हैं। ये सिग्नल्स
ब्लूटूथ के जरिए कंप्यूटर
या स्मार्टफोन तक पहुंचते हैं।
उदाहरण के तौर पर
जब आरजे अपने दिमाग
में टीवी चालू करने
या गेम में कोई
बटन दबाने की सोचता है,
तो चिप उस सोच
को कमांड में बदल देती
है और डिवाइस उसका
पालन करता है। यह
तकनीक इतनी सटीक है
कि मरीज बिना किसी
शारीरिक हलचल के जटिल
कार्य कर सकते हैं,
जैसे शतरंज खेलना या 3D डिजाइन सॉफ्टवेयर का उपयोग करना।
पहले मरीज
से
लेकर
अब
तक
की
यात्रा
न्यूरालिंक
ने अपनी शुरुआत जनवरी
2024 में पहले मरीज नोलैंड
अर्बो के साथ की
थी, जो एक डाइविंग
दुर्घटना के बाद लकवाग्रस्त
हो गए थे। नोलैंड
ने इस चिप की
मदद से शतरंज खेला
ऑनलाइन गेम में अपने
दोस्तों को हराया और
यहां तक कि नई
भाषाएं भी सीखीं। इसके
बाद न्यूरालिंक ने छह और
मरीजों में यह चिप
प्रत्यारोपित की जिनमें से
एक मरीज ब्रैड स्मिथ,
जो एएलएस से पीड़ित हैं
ने अपने दिमाग से
यूट्यूब वीडियो एडिट किया और
अपनी आवाज को AI की
मदद से दोबारा बनाया।
हालांकि,
इस तकनीक के सामने चुनौतियां
भी आईं। पहले मरीज
नोलैंड के मामले में,
चिप में कुछ तकनीकी
समस्याएं देखी गईं, लेकिन
उन्होंने प्रयोग जारी रखने का
फैसला किया। न्यूरालिंक ने तब से
चिप को और बेहतर
बनाया है, जिसमें ज्यादा
इलेक्ट्रोड्स, बेहतर बैंडविड्थ और लंबी बैटरी
लाइफ शामिल है।
भविष्य की
संभावनाएं
न्यूरालिंक
का लक्ष्य केवल डिवाइस नियंत्रित
करने तक सीमित नहीं
है। एलन मस्क का
कहना है कि यह
तकनीक भविष्य में न केवल
गति और भाषा को
बहाल कर सकती है,
बल्कि दृष्टि और सुनने की
क्षमता को भी वापस
ला सकती है। मस्क
ने दावा किया है
कि उनकी "ब्लाइंडसाइट" चिप, जो दिमाग
के विजुअल कॉर्टेक्स से जुड़ेगी, 2026 तक
उन लोगों को दृष्टि दे
सकती है जो पूरी
तरह से अंधे हैं।
इसके अलावा, न्यूरालिंक कनाडा, यूके और यूएई
में भी अपने ट्रायल्स
का विस्तार कर रही है।
चुनौतियां और
विवाद
हर नई तकनीक की
तरह, न्यूरालिंक को भी कई
सवालों का सामना करना
पड़ रहा है। कुछ
लोग इसकी सुरक्षा को
लेकर चिंतित हैं, खासकर तब
जब शुरुआती चिप में समस्याएं
देखी गईं। इसके अलावा,
बंदरों पर किए गए
परीक्षणों को लेकर पशु
अधिकार संगठनों ने आपत्ति जताई
है। मस्क का दावा
है कि कंपनी नियामकों
के साथ मिलकर काम
कर रही है ताकि
यह सुनिश्चित हो कि यह
तकनीक पूरी तरह सुरक्षित
और प्रभावी हो।
एक नई शुरुआत
न्यूरालिंक
की यह उपलब्धि उन
लाखों लोगों के लिए एक
नई शुरुआत है जो लकवे
या अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं
से जूझ रहे हैं।
आरजे जैसे मरीजों की
कहानियां हमें दिखाती हैं
कि तकनीक कैसे असंभव को
संभव बना सकती है।
यह चिप न केवल
उनकी स्वतंत्रता को बढ़ा रही
है, बल्कि उनके जीवन में
नई उम्मीद भी जगा रही
है।
एलन
मस्क की यह तकनीक
अभी शुरुआती चरण में है,
लेकिन इसके परिणाम हमें
भविष्य की एक ऐसी
दुनिया की झलक दिखाते
हैं जहां दिमाग और
मशीन एक साथ मिलकर
चमत्कार कर सकते हैं।
आप इस बारे में
क्या सोचते हैं? क्या यह
तकनीक वाकई मानव जीवन
को बदल देगी? अपने
विचार हमारे साथ साझा करें!
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