जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा: स्वास्थ्य कारण या राजनीतिक दबाव?

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जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा: स्वास्थ्य कारण या राजनीतिक दबाव?
जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा: स्वास्थ्य कारण या राजनीतिक दबाव?

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम को एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया लेकिन इस अचानक कदम ने राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की अटकलों को जन्म दे दिया है। क्या यह वाकई स्वास्थ्य की वजह से लिया गया व्यक्तिगत फैसला है या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव है? यह सवाल हर किसी के मन में घूम रहा है।

 

74 वर्षीय धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा "स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67() के तहत तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूँ।" उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान मिले समर्थन के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद सदस्यों का आभार भी जताया। धनखड़ ने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति और विकास का हिस्सा बनना उनके लिए गर्व की बात रही। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह इस्तीफा इतना ही सीधा-सपाट है, जितना दिख रहा है?

 स्वास्थ्य या कुछ और?

 

जगदीप धनखड़ की सेहत को लेकर पहले भी खबरें सामने आई थीं। इस साल मार्च में उन्हें सीने में दर्द और असहजता के बाद दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जहाँ उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी। हालाँकि इसके बाद वे ठीक हो गए थे और संसद के मानसून सत्र के पहले दिन भी उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन किया था। ऐसे में उनके अचानक इस्तीफे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी नेताओं ने इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा "वे पूरे दिन संसद में थे। सिर्फ एक घंटे में ऐसा क्या हुआ कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा?" वहीं शिवसेना (यूबीटी) नेता आनंद दुबे ने भी इस फैसले को हैरान करने वाला बताया।

 

राजनीतिक अटकलें तेज

 

धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ ही था। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ स्वास्थ्य का मामला नहीं हो सकता। राजनीतिक विश्लेषक आशुतोष ने एक टीवी चैनल से बातचीत में दावा किया कि धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से नहीं, बल्कि शीर्ष नेतृत्व के साथ किसी टकराव के कारण हो सकता है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी कहा कि धनखड़ के इस्तीफे का समय "अप्रत्याशित" है और यह सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं लगता। कुछ लोग यह भी कयास लगा रहे हैं कि क्या यह इस्तीफा किसी बड़े राजनीतिक बदलाव का संकेत है? कुछ विपक्षी नेताओं ने तो यहाँ तक कहा कि क्या योगी आदित्यनाथ को उपराष्ट्रपति बनाने की तैयारी चल रही है?

 

अब आगे क्या?

 

संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति के पद पर रिक्ति होने पर 60 दिनों के भीतर नया चुनाव कराना अनिवार्य है। तब तक राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे। धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2022 में शुरू हुआ था और 2027 तक चलना था। ऐसे में उनका यह अचानक इस्तीफा भारतीय इतिहास में पहला मौका है, जब किसी उपराष्ट्रपति ने कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ा है।

 

धनखड़ का सफर

 

जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर राजस्थान के एक छोटे से गाँव किठाना से शुरू हुआ था। वकालत से अपने करियर की शुरुआत करने वाले धनखड़ ने 1989 में झुंझुनू से लोकसभा चुनाव जीता और बाद में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने। 2022 में वे 14वें उपराष्ट्रपति बने। उनके कार्यकाल में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार के साथ कई बार तनातनी भी देखने को मिली थी।

 

निष्कर्ष

 

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा निश्चित रूप से भारतीय राजनीति में एक बड़ा मोड़ है। जहाँ वे अपने पत्र में इसे स्वास्थ्य से जोड़ रहे हैं, वहीं विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषक इसे सिर्फ स्वास्थ्य का मामला मानने को तैयार नहीं हैं। सच क्या है, यह तो शायद समय ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि यह इस्तीफा आने वाले दिनों में राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बना रहेगा।

 

आपको क्या लगता है? क्या यह स्वास्थ्य का मामला है या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक खेल है? अपनी राय हमें जरूर बताएँ।


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