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गणेश जी के अनजाने तथ्य और 2025 गणेश चतुर्थी पूजा की पूरी जानकारी |
गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश के जन्मोत्सव का पर्व हर साल भाद्रपद मास में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश जी से जुड़े कई ऐसे रोचक और अनजाने तथ्य हैं जो हमें उनकी महिमा और रहस्यमयी स्वरूप को और गहराई से समझने में मदद करते हैं? इस ब्लॉग पोस्ट में हम गणेश जी के कुछ अनसुने तथ्यों के साथ-साथ 2025 की गणेश चतुर्थी पूजा की तारीख, शुभ मुहूर्त और विधि-विधान की पूरी जानकारी साझा करेंगे। आइए, शुरू करते हैं!
गणेश जी
के
अनजाने
और
रोचक
तथ्य
1. एकदंत
का
रहस्य:
गणेश
जी
का
अनोखा
स्वरूप
गणेश
जी को "एकदंत" यानी एक दांत
वाला कहा जाता है।
लेकिन क्या आप जानते
हैं कि उनके एक
दांत के पीछे की
कहानी क्या है? पौराणिक
कथाओं के अनुसार गणेश
जी ने महाभारत को
लिखने के लिए अपना
एक दांत तोड़कर उसे
कलम के रूप में
इस्तेमाल किया था, जब
वे ऋषि वेदव्यास के
साथ इसे लिख रहे
थे। एक अन्य कथा
के अनुसार भगवान परशुराम के साथ युद्ध
में उनका एक दांत
टूट गया था। यह
उनकी नम्रता और बुद्धिमत्ता का
प्रतीक है।
2. मूषक:
छोटा
वाहन,
बड़ा
संदेश
गणेश
जी का वाहन एक
छोटा सा मूषक है
जिसका नाम मूषिका है।
यह मूषक पहले एक
गंधर्व था जिसे श्राप
के कारण चूहा बनना
पड़ा। गणेश जी ने
उसे अपने वाहन के
रूप में स्वीकार किया,
जो यह दर्शाता है
कि कोई भी कितना
छोटा क्यों न हो उनके
सामने सभी बराबर हैं।
मूषक उनकी विनम्रता और
सभी बाधाओं को पार करने
की शक्ति का प्रतीक है।
3. चंद्रमा
का
श्राप:
क्यों
नहीं
देखते
चांद?
क्या
आपने सुना है कि
गणेश चतुर्थी के दिन चांद
को देखना वर्जित है? एक कथा
के अनुसार चंद्रमा ने गणेश जी
का मजाक उड़ाया था
जिसके कारण गणेश जी
ने उन्हें श्राप दिया कि इस
दिन जो भी चांद
को देखेगा, उसे झूठे आरोपों
का सामना करना पड़ेगा। इसीलिए
इस दिन चंद्र दर्शन
से बचा जाता है।
अगर गलती से चांद
दिख जाए, तो श्राप
से बचने के लिए
विशेष मंत्र का जाप किया
जाता है:
"सिंहः
प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मारोदीस्तव
ह्येष स्यमन्तकः॥"
4. पार्वती
की
अनोखी
सृष्टि
गणेश
जी का जन्म माता
पार्वती ने अपनी शक्ति
से किया था। उन्होंने
अपने शरीर की उबटन
या चंदन से गणेश
जी की मूर्ति बनाई
और उसमें प्राण डाले। यह गणेश जी
को एक अनोखा देवता
बनाता है, जो केवल
माता पार्वती की इच्छा से
जन्मे। बाद में भगवान
शिव ने उन्हें हाथी
का सिर देकर पुनर्जनन
दिया जिससे वे "गजानन" कहलाए।
5. विश्व
का
चक्कर:
गणेश
जी
की
बुद्धिमत्ता
एक बार शिव और
पार्वती ने अपने दोनों
पुत्रों, गणेश और कार्तिकेय,
के बीच प्रतियोगिता रखी
कि कौन सबसे पहले
विश्व का चक्कर लगाकर
वापस आता है। कार्तिकेय
अपने मोर पर सवार
होकर विश्व भ्रमण पर निकल पड़े,
लेकिन गणेश जी ने
अपनी बुद्धि से अपने माता-पिता की परिक्रमा
की और कहा कि
उनके लिए माता-पिता
ही सारा विश्व हैं।
उनकी इस बुद्धिमत्ता के
कारण उन्हें "प्रथम पूज्य" का स्थान मिला।
6. 108 नामों
की
महिमा
गणेश
जी के 108 नाम हैं जैसे
विघ्नेश्वर, विनायक, गजानन, और सिद्धिविनायक। प्रत्येक
नाम उनके एक अलग
गुण को दर्शाता है।
इन नामों का जाप करने
से भक्तों को बुद्धि, समृद्धि
और बाधाओं से मुक्ति मिलती
है। गणेश चतुर्थी पर
इन नामों का पाठ विशेष
रूप से फलदायी माना
जाता है।
7. तुलसी
का
श्राप:
क्यों
नहीं
चढ़ाते
तुलसी?
एक अनसुनी कथा के अनुसार
तुलसी ने गणेश जी
को विवाह का प्रस्ताव दिया
था, लेकिन गणेश जी ने
ब्रह्मचर्य का पालन करने
की इच्छा जताई। क्रोधित होकर तुलसी ने
उन्हें श्राप दिया, जिसके जवाब में गणेश
जी ने तुलसी को
पौधा बनने का श्राप
दे दिया। यही कारण है
कि गणेश पूजा में
तुलसी पत्र नहीं चढ़ाए
जाते।
8. कुबेर
को
गणेश
जी
का
सबक
धन के देवता कुबेर
ने एक बार अपनी
संपत्ति का प्रदर्शन करने
के लिए गणेश जी
को भोज पर बुलाया।
गणेश जी ने सारा
भोजन खा लिया और
फिर भी उनकी भूख
नहीं मिटी। अंत में, कुबेर
को शिव की शरण
लेनी पड़ी, और गणेश
जी एक साधारण मोदक
से संतुष्ट हो गए। यह
कहानी हमें लालच छोड़कर
नम्रता अपनाने का पाठ सिखाती
है।
9. प्रथम
पूज्य
का
गौरव
गणेश
जी को हर पूजा
में सबसे पहले पूजा
जाता है। यह सम्मान
उन्हें उनकी बुद्धि और
भक्ति के कारण मिला।
खासकर गणेश चतुर्थी पर
उनकी पूजा से हर
कार्य में सफलता मिलती
है।
10. मोदक
का
प्रेम
गणेश
जी को मोदक बहुत
प्रिय हैं। ऐसा माना
जाता है कि उनकी
बड़ी भूख सभी बाधाओं
को निगलने की उनकी शक्ति
का प्रतीक है। गणेश चतुर्थी
पर भक्त मोदक बनाकर
उन्हें भोग लगाते हैं,
जिससे उनकी कृपा प्राप्त
होती है।
गणेश चतुर्थी
2025: तारीख,
शुभ
मुहूर्त
और
पूजा
विधि
तारीख और
शुभ
मुहूर्त
वैदिक
पंचांग के अनुसार, 2025 में
गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त
2025, बुधवार को मनाया जाएगा।
इस दिन भाद्रपद मास
के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी
तिथि दोपहर 1:54 बजे (26 अगस्त) से शुरू होगी
और अगले दिन दोपहर
3:44 बजे (27 अगस्त) को समाप्त होगी।
गणेश उत्सव 27 अगस्त से शुरू होकर
6 सितंबर 2025 को अनंत चतुर्दशी
के दिन गणेश विसर्जन
के साथ समाप्त होगा।
मध्याह्न गणेश
पूजा
का
शुभ
मुहूर्त:
27 अगस्त
2025: सुबह 11:05 बजे से दोपहर
1:40 बजे तक।
यह समय गणेश स्थापना
और पूजा के लिए
सबसे शुभ माना जाता
है, क्योंकि माना जाता है
कि गणेश जी का
जन्म मध्याह्न काल में हुआ
था।
चंद्र दर्शन
वर्जित
समय:
26 अगस्त
2025: दोपहर 1:54 बजे से रात
8:29 बजे तक।
27 अगस्त
2025: सुबह 9:28 बजे से रात
8:57 बजे तक।
इन समयों में चांद देखने
से बचें, ताकि मिथ्या दोष
(झूठे आरोप) से बचा जा
सके।
पूजा विधि
गणेश
चतुर्थी की पूजा विधि
सरल लेकिन बहुत महत्वपूर्ण है।
यहाँ चरण-दर-चरण
पूजा विधि दी गई
है:
- · साफ-सफाई और सजावट: पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें। फूलों, रंगोली और अन्य पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों से सजाएं।
- · गणेश स्थापना: एक लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। गंगा जल छिड़कें।
- · प्राण प्रतिष्ठा: गणेश जी की मूर्ति में प्राण डालने के लिए मंत्रों का जाप करें।
- · षोडशोपचार पूजा: गणेश जी को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण) से स्नान कराएं। उन्हें नए वस्त्र, फूल, अक्षत, माला, सिंदूर, और चंदन अर्पित करें।
- · प्रसाद: मोदक, लड्डू, पान, सुपारी, और फल चढ़ाएं। गणेश जी को दुर्वा घास विशेष रूप से प्रिय है
- · मंत्र जाप: निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
ॐ गं गणपतये नमः
ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
- · आरती और कथा: गणेश आरती और बिंदायक कथा पढ़ें। भक्ति भजनों का आयोजन करें।
- · व्रत नियम: व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें। नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग करें। मांस, लहसुन, और प्याज से बचें।
- · विसर्जन: 10वें दिन (6 सितंबर 2025) को अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित करें। यह प्रक्रिया ढोल-नगाड़ों और "गणपति बप्पा मोरया" के नारों के साथ होती है।
विशेष सावधानियां
- · पूजा के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें। साफ कपड़े पहनें और सुबह स्नान करें।
- · पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों का उपयोग करें, जो मिट्टी से बनी हों और पानी में आसानी से घुल जाएं।
- · पूजा में प्लास्टिक या गैर-जैविक सामग्रियों का उपयोग न करें।
- · व्रत के दौरान तामसिक भोजन से बचें और हल्का, सात्विक भोजन करें।
गणेश चतुर्थी
का
महत्व
गणेश
चतुर्थी केवल एक त्योहार
नहीं, बल्कि एकता, भक्ति और सांस्कृतिक विरासत
का प्रतीक है। यह पर्व
17वीं सदी में छत्रपति
शिवाजी महाराज द्वारा सामाजिक एकता के लिए
प्रोत्साहित किया गया था
और बाद में लोकमान्य
तिलक ने इसे स्वतंत्रता
संग्राम के दौरान राष्ट्रीय
एकता का प्रतीक बनाया।
गणेश जी की पूजा
से बुद्धि, समृद्धि और सभी बाधाओं
का नाश होता है।
यह पर्व खासकर महाराष्ट्र,
गुजरात, कर्नाटक, और गोवा में
बड़े धूमधाम से मनाया जाता
है।
अंत में
गणेश
चतुर्थी 2025 में गणपति बप्पा
को अपने घर लाएं,
उनकी पूजा करें और
उनके अनोखे तथ्यों को जानकर उनकी
महिमा को और गहराई
से समझें। उनकी कृपा से
आपका जीवन बाधाओं से
मुक्त और समृद्धि से
भरा हो। क्या आप
इस साल गणेश चतुर्थी
के लिए कुछ खास
योजना बना रहे हैं?
हमें बताएं!
गणपति बप्पा मोरया!
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