एच-1बी वीजा: नए आवेदकों के लिए 1 लाख डॉलर का एकमुश्त शुल्क, मौजूदा धारकों को राहत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुक्रवार को हस्ताक्षरित एक कार्यकारी आदेश ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम में बड़ा बदलाव ला दिया है। इस नए नियम के तहत, कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों को 1 लाख डॉलर (लगभग 84 लाख रुपये) का शुल्क देना होगा। हालांकि व्हाइट हाउस ने शनिवार को स्पष्ट किया कि यह शुल्क एकमुश्त (वन-टाइम) है न कि वार्षिक और यह केवल नए आवेदकों पर लागू होगा, मौजूदा वीजा धारकों पर नहीं।
व्हाइट
हाउस प्रवक्ता करोलिन लेविट ने एक्स (पूर्व
ट्विटर) पर पोस्ट करते
हुए कहा "यह शुल्क केवल
नई याचिकाओं पर लागू होगा,
नवीनीकरण या वर्तमान वीजा
धारकों पर।" एक वरिष्ठ अधिकारी
ने सीबीएस न्यूज को बताया कि
फरवरी 2026 की लॉटरी में
भाग लेने वाले वे
आवेदक जो फिलहाल अमेरिका
के बाहर हैं, ही
इस शुल्क का भुगतान करेंगे।
2025 लॉटरी में शामिल हुए
उम्मीदवारों को इससे छूट
मिलेगी।
इस घोषणा के बाद टेक
कंपनियों में हड़कंप मच
गया था। अमेज़न और
माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज फर्मों
ने अपने एच-1बी
वीजा धारक कर्मचारियों को
विदेश यात्रा से बचने की
सलाह दी थी, लेकिन
व्हाइट हाउस ने पुष्टि
की कि मौजूदा वीजा
धारक अमेरिका में यात्रा और
प्रवेश पर कोई प्रतिबंध
का सामना नहीं करेंगे।
ट्रंप
प्रशासन का कहना है
कि यह कदम अमेरिकी
श्रमिकों को "कम वेतन वाले
विदेशी श्रमिकों से प्रतिस्थापित" होने से
बचाने के लिए उठाया
गया है। वाणिज्य मंत्री
हॉवर्ड लुटनिक ने ओवल ऑफिस
में कहा, "अमेरिकियों को प्रशिक्षित करें,
न कि नौकरियां छीनने
वाले विदेशियों को लाएं।" हालांकि,
विशेषज्ञों का मानना है
कि यह शुल्क कानूनी
चुनौतियों का सामना कर
सकता है, क्योंकि कांग्रेस
ने केवल आवेदन प्रोसेसिंग
लागत वसूलने की अनुमति दी
है।
एच-1बी वीजा कार्यक्रम
जो 1990 में शुरू हुआ,
प्रतिवर्ष 85,000 वीजा जारी करता
है। 2024 में भारत को
71% अनुमोदित वीजा मिले, जबकि
अमेज़न को सबसे अधिक
10,000 से ज्यादा आवंटित हुए। भारतीय आईटी
संगठन नासकॉम ने चिंता जताई
है कि यह नियम
वैश्विक व्यवसायों और पेशेवरों के
लिए अनिश्चितता पैदा करेगा।
ट्रंप
ने एक साथ "गोल्ड
कार्ड" वीजा भी लॉन्च
किया जिसमें 10 लाख डॉलर देकर
स्थायी निवास मिल सकता है।
यह बदलाव अमेरिकी इमिग्रेशन नीति में ट्रंप
के सख्त रुख को
दर्शाता है।
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