अमेरिकी H-1B वीजा शुल्क में छूट: भारतीय आईटी पेशेवरों और छात्रों के लिए बड़ी राहत

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अमेरिकी H-1B वीजा शुल्क में छूट: भारतीय आईटी पेशेवरों और छात्रों के लिए बड़ी राहत

अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने H-1B वीजा शुल्क में महत्वपूर्ण छूट की घोषणा कर भारतीय आईटी पेशेवरों और अमेरिका में पढ़ने वाले छात्रों को बड़ी राहत दी है। सितंबर में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 100,000 डॉलर (लगभग 84 लाख रुपये) के नए शुल्क के बाद उत्पन्न अनिश्चितता के बीच यह


फैसला आया है, जो अब केवल नए आवेदकों पर लागू होगा।

ट्रंप प्रशासन ने 19 सितंबर को H-1B वीजा कार्यक्रम में बदलाव की घोषणा की थी, जिसमें विदेशी कंपनियों को कुशल श्रमिकों के लिए भारी शुल्क चुकाना पड़ता। यह कदम अमेरिकी नौकरियों की रक्षा के नाम पर उठाया गया था, लेकिन इससे भारतीय आईटी क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यूएससीआईएस के अनुसार पहले से जारी वैध H-1B वीजा धारकों को यह शुल्क नहीं देना होगा, ही 21 सितंबर 2025 से पहले जमा आवेदनों पर असर पड़ेगा। खासतौर पर F-1 छात्र वीजा से H-1B में बदलाव करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भी इस शुल्क से छूट मिलेगी।

यह छूट भारतीय छात्रों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो अमेरिकी विश्वविद्यालयों में STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) कोर्स कर रहे हैं। 2025 के पहले छमाही में अमेज़न को 10,000 से अधिक H-1B वीजा मिले, जबकि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को 5,500 से ज्यादा। कुल मिलाकर, भारतीय नागरिक H-1B वीजा के 71% लाभार्थी हैं। नासकॉम ने स्वागत करते हुए कहा, "यह फैसला आईटी कंपनियों की वैश्विक परियोजनाओं को स्थिरता देगा और छात्रों के करियर को बढ़ावा मिलेगा।"

हालांकि विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि नए आवेदकों के लिए शुल्क अभी भी चुनौती बनेगा, जो रेमिटेंस और आईटी निर्यात को प्रभावित कर सकता है। फिर भी, यह घोषणा भारतीय समुदाय में उत्साह का विषय बनी हुई है, जो अमेरिकी सपने को साकार करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।


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