ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर विदेशी छात्रों के नामांकन पर रोक लगाई

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ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर विदेशी छात्रों के नामांकन पर रोक लगाई

ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के खिलाफ एक कड़ा कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय को विदेशी छात्रों के नामांकन से रोकने की धमकी दी है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने हार्वर्ड को निर्देश दिया है कि वह प्रशासन की मांगों का पालन करे, अन्यथा उसे अंतरराष्ट्रीय छात्रों को स्वीकार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह कदम हार्वर्ड के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है क्योंकि विदेशी छात्र इसके छात्र समुदाय का लगभग 20% से अधिक हिस्सा हैं और विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

 

रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड से कुछ विदेशी छात्रों के अनुशासनात्मक रिकॉर्ड सौंपने की मांग की है, जिन्हें प्रशासन "गैरकानूनी" या "हिंसक" व्यवहार से जोड़ता है। कुछ स्रोतों का दावा है कि यह मांग विश्वविद्यालय की उन नीतियों से संबंधित हो सकती है, जिन्हें प्रशासन कुछ विशेष समूहों के समर्थन के रूप में देखता है। हार्वर्ड ने अभी तक इन मांगों का पूरी तरह से अनुपालन नहीं किया है, जिसके कारण यह विवाद और गहरा गया है।

 

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग इसे ट्रम्प प्रशासन की ओर से शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं, जबकि अन्य इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और अनुशासन सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम मान रहे हैं। एक उपयोगकर्ता ने X पर लिखा "हार्वर्ड की अकादमिक स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश की जा रही है। यह विश्वविद्यालयों पर सरकारी नियंत्रण की दिशा में एक खतरनाक कदम है।" वहीं, दूसरी ओर कुछ का कहना है कि प्रशासन का यह कदम उन छात्रों को जवाबदेह ठहराने के लिए जरूरी है जो नियमों का उल्लंघन करते हैं।

 

इस कदम का हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। विदेशी छात्र केवल विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ाते हैं, बल्कि इसके अनुसंधान और शैक्षणिक कार्यक्रमों में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। विशेष रूप से, स्नातकोत्तर स्तर पर 38% से अधिक पीएचडी छात्र अंतरराष्ट्रीय हैं, जो विश्वविद्यालय के अनुसंधान प्रयोगशालाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, विदेशी छात्रों से प्राप्त ट्यूशन फीस हार्वर्ड की आय का एक बड़ा हिस्सा है।

 

विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद ट्रम्प प्रशासन और शैक्षणिक संस्थानों के बीच बढ़ते तनाव का हिस्सा है। पहले भी प्रशासन ने हार्वर्ड जैसे विश्वविद्यालयों पर वित्तीय अनुदान में कटौती और कर नीतियों के माध्यम से दबाव बनाने की कोशिश की थी। इस बार, वीजा नीतियों का उपयोग करके प्रशासन ने एक नया दबाव बिंदु चुना है।

 

हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कानूनी और कूटनीतिक रास्ते तलाश रहा है। इस बीच छात्र संगठनों और शैक्षणिक समुदायों ने इस कदम की निंदा की है और इसे विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला बताया है।


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