G7 शिखर सम्मेलन 2025: पीएम मोदी कनाडा पहुंचे, वैश्विक मुद्दों पर होगी चर्चा

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G7 शिखर सम्मेलन 2025: पीएम मोदी कनाडा पहुंचे, वैश्विक मुद्दों पर होगी चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 51वें G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कनाडा के कैलगरी पहुंचे। यह उनकी एक दशक बाद कनाडा की पहली यात्रा है, जो भारत-कनाडा संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत दे रही है। यह यात्रा तीन देशों (साइप्रस, कनाडा, और क्रोएशिया) की उनकी चार दिवसीय विदेश यात्रा का हिस्सा है।



 

G7 शिखर सम्मेलन का महत्व

 

G7 शिखर सम्मेलन, जो 16-17 जून को अल्बर्टा के कननास्किस में आयोजित हो रहा है, दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा, और जापान) के नेताओं को एक मंच पर लाता है। भारत, हालांकि G7 का स्थायी सदस्य नहीं है लेकिन 2003 से अब तक 12वीं बार इस सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। पीएम मोदी की यह लगातार छठी भागीदारी है, जो भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को दर्शाती है।

 

पीएम मोदी का एजेंडा

 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह इस सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) की प्राथमिकताओं पर जोर देंगे। उनके एजेंडे में ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, नवाचार, और बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। इसके अलावा, वह कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, जर्मनी, इटली, और यूक्रेन के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं करेंगे। यह मुलाकातें भारत-कनाडा संबंधों को बेहतर बनाने और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।

 

भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद

 

कनाडाई पीएम मार्क कार्नी द्वारा मोदी को आमंत्रित करना दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों में सुधार का संकेत है। खासकर, 2023 में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर दोनों देशों में कूटनीतिक विवाद बढ़ा था। कार्नी ने विदेशी हस्तक्षेप और डायस्पोरा समुदायों के मुद्दों को भी इस सम्मेलन के एजेंडे में शामिल किया है, जिससे भारत के साथ रचनात्मक बातचीत की उम्मीद की जा रही है।

 

भारतीय डायस्पोरा का उत्साह

 

कैलगरी में भारतीय मूल के कनाडाई नागरिकों ने पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया। तिरंगे लहराते हुए और नारे लगाते हुए डायस्पोरा ने भारत की वैश्विक मंच पर बढ़ती ताकत का जश्न मनाया। कैलगरी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मेहरोत्रा ने कार्नी के निमंत्रण की सराहना करते हुए कहा, "यह एक साहसिक कदम है, जो भारत-कनाडा आर्थिक संबंधों को मजबूत करेगा।"

 

वैश्विक संकटों का साया

 

यह सम्मेलन इजरायल-ईरान संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संकटों की पृष्ठभूमि में हो रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्य पूर्व तनाव के कारण सम्मेलन को जल्दी छोड़ दिया, जिससे वैश्विक कूटनीति पर असर पड़ा। G7 नेताओं ने मध्य पूर्व संकट पर संयुक्त बयान जारी कर चिंता जताई और परमाणु अप्रसार पर जोर दिया।

 

खालिस्तानी विरोध प्रदर्शन

 

सम्मेलन के दौरान कैलगरी में सैकड़ों खालिस्तानी समर्थकों ने पीएम मोदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा काफिला दिखाई दिया। हालांकि, सिख्स ऑफ अमेरिका के संस्थापक जसदीप सिंह जेसी जैसे कुछ सिख नेताओं ने इन प्रदर्शनों की निंदा की और मोदी की यात्रा को अंतरराष्ट्रीय एकता की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।

 

निष्कर्ष

 

पीएम मोदी की G7 शिखर सम्मेलन में भागीदारी भारत की वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह केवल भारत-कनाडा संबंधों को बेहतर बनाने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की आवाज को और मजबूत करता है। उनकी यह यात्रा वैश्विक चुनौतियों से निपटने और ग्लोबल साउथ के हितों को बढ़ावा देने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है।


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