पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप को 2026 नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया: भारत-पाक तनाव में हस्तक्षेप का दावा

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पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप को 2026 नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया: भारत-पाक तनाव में हस्तक्षेप का दावा

एक अप्रत्याशित कदम में पाकिस्तान सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है। पाकिस्तान ने इस नामांकन के पीछे ट्रंप की "निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप और प्रभावशाली नेतृत्व" को कारण बताया है, जिसके बारे में उनका दावा है कि इसने हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह घोषणा पाकिस्तान सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की जिसमें उन्होंने ट्रंप की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी "रणनीतिक दूरदर्शिता और उत्कृष्ट नेतृत्व" ने दोनों परमाणु-सशस्त्र देशों के बीच युद्ध की संभावना को टाल दिया।

 



पाकिस्तान के अनुसार यह तनाव मई 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए। पाकिस्तान ने इसके जवाब में ऑपरेशन बुनयानम मार्सूस शुरू किया, जिसे उसने "संयमित, दृढ़ और सटीक" सैन्य कार्रवाई बताया, जिसका उद्देश्य अपनी संप्रभुता की रक्षा करना था। पाकिस्तान का दावा है कि ट्रंप की "बैक-चैनल डिप्लोमेसी" ने इस तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप 7-10 मई के सैन्य संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच युद्धविराम हुआ।

 

पाकिस्तान ने अपने बयान में ट्रंप की जम्मू-कश्मीर विवाद को सुलझाने की पेशकश की भी सराहना की, जिसे वह दक्षिण एशिया में स्थायी शांति के लिए आवश्यक मानता है। बयान में कहा गया, "जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू किए बिना दक्षिण एशिया में स्थायी शांति संभव नहीं है।"

 

हालांकि भारत ने ट्रंप की भूमिका को लेकर बार-बार खंडन किया है। भारतीय अधिकारियों, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच सीधी बातचीत के माध्यम से हासिल किया गया था, कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से। 35 मिनट की फोन कॉल में, मोदी ने ट्रंप को यह बात स्पष्ट की और भारत-पाक मुद्दों में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सिरे से खारिज कर दिया।

 

ट्रंप ने स्वयं इस नामांकन से पहले मीडिया से बातचीत में कहा था कि वह नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं, केवल भारत-पाक तनाव को कम करने के लिए बल्कि रवांडा और कांगो के बीच शांति संधि जैसे अन्य वैश्विक प्रयासों के लिए भी। उन्होंने कहा "मुझे चार-पांच बार नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए था, लेकिन वे इसे केवल उदारवादियों को देते हैं।"

 

पाकिस्तान के इस कदम को कुछ लोग रणनीतिक मान रहे हैं क्योंकि यह नामांकन उस समय आया है जब ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की थी। इस मुलाकात को पाकिस्तानी अधिकारियों ने "महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता" करार दिया है। हालांकि, नोबेल समिति के नियमों के अनुसार, केवल विशिष्ट श्रेणियों जैसे कि राष्ट्रीय सरकार के प्रमुख, सांसद, या पूर्व विजेता ही नामांकन कर सकते हैं। इस आधार पर, जनरल मुनीर का नामांकन अमान्य हो सकता है, लेकिन पाकिस्तान सरकार का नामांकन वैध माना जा सकता है।

 

यह नामांकन नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में एक नया मोड़ लाता है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या यह ट्रंप को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिला पाएगा, जिसके लिए वह लंबे समय से दावेदारी करते रहे हैं।

 

 


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