ट्रम्प ने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमले की घोषणा की: क्षेत्रीय तनाव चरम पर

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ट्रम्प ने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमले की घोषणा की: क्षेत्रीय तनाव चरम पर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलोंफोर्डो, नतांज और इस्फहानपर हवाई हमले किए हैं। ट्रम्प ने इसे एक "बेहद सफल" अभियान करार देते हुए कहा कि सभी अमेरिकी विमान सुरक्षित रूप से ईरानी हवाई क्षेत्र से बाहर निकल चुके हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा, "अब शांति का समय है," लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला मध्य पूर्व में तनाव को और भड़का सकता है।

 

हमले का विवरण

 

व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के अनुसार फोर्डो परमाणु स्थल पर भारी बमबारी की गई जिसे ईरान की परमाणु हथियार विकास योजना का केंद्र माना जाता है। ट्रम्प ने दावा किया कि यह हमला ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को रोकने के लिए जरूरी था, क्योंकि ईरान ने "हर लाल रेखा को पार कर लिया था।" हालांकि, ईरान की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार तेहरान इस हमले को "युद्ध की घोषणा" मान सकता है।

 

क्षेत्रीय और वैश्विक प्रतिक्रियाएँ

 

यह हमला उस समय हुआ है, जब इजरायल पहले से ही ईरान के खिलाफ हवाई अभियान चला रहा है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका का यह कदम इजरायल के साथ मिलकर लिया गया है, जिससे क्षेत्रीय युद्ध की आशंका बढ़ गई है। रूस और चीन जैसे देशों ने इस हमले की निंदा की है, जबकि सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।

 

वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतों में तत्काल उछाल देखा गया क्योंकि निवेशक मध्य पूर्व में आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान की आशंका जता रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था जो आयातित तेल पर निर्भर है पर भी इसका असर पड़ सकता है।

 

भारत की स्थिति

 

भारत ने अभी तक इस हमले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है लेकिन विदेश मंत्रालय ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। भारत और ईरान के बीच ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्र में मजबूत संबंध हैं, और यह हमला चाबहार बंदरगाह परियोजना जैसे सहयोग को प्रभावित कर सकता है।

 

आगे क्या?

 

ट्रम्प के "शांति" के आह्वान के बावजूद विश्लेषकों का मानना है कि ईरान जवाबी कार्रवाई कर सकता है, जो क्षेत्र में हिंसा का एक नया दौर शुरू कर सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह हमला ईरान में सत्ता परिवर्तन की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जबकि अन्य इसे परमाणु समझौते (JCPOA) को पुनर्जनन की दिशा में एक कदम मान रहे हैं।

 

जैसा कि स्थिति विकसित हो रही है, विश्व समुदाय इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की मांग कर रहा है। भारत सहित कई देश इस संकट के प्रभाव को कम करने के लिए सतर्कता से स्थिति पर नजर रख रहे हैं।


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