ब्रिक्स देशों पर ट्रंप की 10% टैरिफ की धमकी: भारत सहित सभी सदस्यों पर निशाना

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ब्रिक्स देशों पर ट्रंप की 10% टैरिफ की धमकी: भारत सहित सभी सदस्यों पर निशाना

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स (BRICS) देशोंब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, और हाल ही में शामिल हुए सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया, इंडोनेशिया, और ईरानके खिलाफ 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। ट्रंप ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में एक कैबिनेट बैठक के दौरान कहा "ब्रिक्स में शामिल कोई भी देश जल्द ही 10% अतिरिक्त टैरिफ का सामना करेगा।" उन्होंने आरोप लगाया कि ब्रिक्स गठबंधन अमेरिकी डॉलर की वैश्विक प्रभुत्व को कमजोर करने और इसे "विनाश" करने की कोशिश कर रहा है।

 

ट्रंप ने विशेष रूप से भारत का जिक्र करते हुए कहा "अगर भारत ब्रिक्स का हिस्सा है, तो उसे भी 10% टैरिफ देना होगा, क्योंकि ब्रिक्स का गठन हमें नुकसान पहुंचाने और हमारे डॉलर को कमजोर करने के लिए किया गया था।" उन्होंने जोर देकर कहा "डॉलर राजा है, और हम इसे ऐसा ही रखेंगे। जो भी इसे चुनौती देगा, उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।"

 


हालांकि ट्रंप ने यह भी दावा किया कि ब्रिक्स अब पहले जैसा प्रभावी नहीं रहा और उनका मानना है कि यह गठबंधन "ज्यादा टूट चुका है।" फिर भी, उन्होंने 1 अगस्त, 2025 से टैरिफ लागू करने की समय सीमा पर जोर दिया, जिसमें कोई छूट या विस्तार नहीं दिया जाएगा।

 

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और भारत की स्थिति

 

यह धमकी ब्राजील में 6-7 जुलाई को हुए 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद आई है, जहां सदस्य देशों ने डी-डॉलरीकरण और स्थानीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाने पर चर्चा की थी। ब्रिक्स देशों ने संयुक्त बयान में अमेरिकी टैरिफ नीतियों को "अवैध" और "हानिकारक" बताया, जिसने ट्रंप प्रशासन को और भड़का दिया।

 

भारत, जो ब्रिक्स का एक प्रमुख सदस्य है ने इस शिखर सम्मेलन में रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया। हालांकि भारत ने ब्रिक्स मुद्रा की अवधारणा का विरोध किया है, क्योंकि उसे डर है कि चीन इसका दुरुपयोग कर सकता है। फिर भी ट्रंप ने भारत को इस टैरिफ से छूट देने के कोई संकेत नहीं दिए, भले ही भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही हो।

 

वैश्विक प्रतिक्रिया और भारत पर प्रभाव

 

ब्रिक्स देशों ने ट्रंप के "विरोधी-अमेरिकी" होने के आरोप को खारिज किया है। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने कहा, "दुनिया को किसी सम्राट की जरूरत नहीं है।" दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने भी टैरिफ की धमकी को "निराशाजनक" बताया।

 

भारत के लिए यह टैरिफ व्यापार और आर्थिक नीतियों पर असर डाल सकता है, खासकर तब जब दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की बातचीत चल रही है। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में जापान और दक्षिण कोरिया जैसे सहयोगी देशों पर 25% टैरिफ लगाया है, लेकिन भारत को अभी इस सूची से बाहर रखा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अपनी रणनीतिक स्थिति और अमेरिका के साथ संबंधों का लाभ उठाकर इस टैरिफ से बचने की कोशिश कर सकता है।

 

क्या है ट्रंप का मकसद?

 

ट्रंप का दावा है कि उनकी टैरिफ नीति का उद्देश्य वैश्विक व्यापार में अमेरिका के हितों की रक्षा करना और व्यापार असंतुलन को ठीक करना है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि ट्रंप प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिका को "विश्व मंच पर निष्पक्ष व्यवहार" मिले। ट्रंप ने यह भी कहा कि उनकी टैरिफ नीति से अमेरिका को अब तक 100 बिलियन डॉलर से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है, और यह राशि गर्मियों के अंत तक 300 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।

 

हालांकि कुछ स्रोतों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन तुरंत 10% टैरिफ लागू नहीं करेगा, बल्कि इसे उन देशों पर लागू करेगा जो स्पष्ट रूप से अमेरिकी हितों के खिलाफ कदम उठाएंगे।

 

आगे क्या?

 

ट्रंप की यह धमकी वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था में अस्थिरता ला सकती है, क्योंकि ब्रिक्स देश वैश्विक जीडीपी का 40% और विश्व की लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत के लिए, यह एक नाजुक संतुलन का समय है जहां उसे ब्रिक्स में अपनी भूमिका और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी के बीच सामंजस्य बिठाना होगा।

 

 


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