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पीएम नरेंद्र मोदी अगले महीने कर सकते हैं अमेरिका की यात्रा, UNGA में लेंगे हिस्सा |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सितंबर 2025 में अमेरिका की यात्रा करने की संभावना है, जहां वे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में हिस्सा लेंगे। सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी 26 सितंबर को न्यूयॉर्क में UNGA के उच्च-स्तरीय सत्र को संबोधित कर सकते हैं। इस दौरान उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ द्विपक्षीय वार्ता की भी योजना है जिसमें व्यापार और टैरिफ जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
यह यात्रा ऐसे समय में
हो रही है जब
भारत और अमेरिका के
बीच व्यापारिक रिश्तों में कुछ तनाव
देखा जा रहा है।
हाल ही में अमेरिका
ने भारत पर 50% टैरिफ
लगाए हैं, जिसमें 25% रूस
से तेल खरीदने के
लिए अतिरिक्त शुल्क शामिल है। इस मुद्दे
को सुलझाने के लिए दोनों
देशों के बीच बातचीत
चल रही है। पीएम
मोदी और ट्रम्प की
मुलाकात में द्विपक्षीय व्यापार
समझौते (BTA) के पहले चरण
को अंतिम रूप देने की
कोशिश होगी, जिसका लक्ष्य 2030 तक भारत-अमेरिका
व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक ले
जाना है।
इसके
अलावा पीएम मोदी की
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर
ज़ेलेंस्की से भी मुलाकात
की संभावना है। ज़ेलेंस्की ने
हाल ही में पीएम
मोदी के साथ फोन
पर बातचीत के बाद सितंबर
में UNGA के दौरान मुलाकात
की योजना की पुष्टि की
थी। यह मुलाकात रूस-यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में
भी अहम हो सकती
है, क्योंकि भारत इस मुद्दे
पर संतुलित रुख अपनाए हुए
है।
UNGA का
यह सत्र 9 सितंबर को शुरू होगा
और उच्च-स्तरीय सामान्य
बहस 23 से 29 सितंबर तक चलेगी। इस
दौरान ब्राजील पारंपरिक रूप से पहला
वक्ता होगा, इसके बाद अमेरिकी
राष्ट्रपति ट्रम्प 23 सितंबर को सभा को
संबोधित करेंगे। भारत ने UNGA में
पीएम मोदी के लिए
बोलने का समय पहले
ही बुक कर लिया
है, जो 26 सितंबर की सुबह निर्धारित
है।
हालांकि
यह सूची अभी अस्थायी
है, और इसमें बदलाव
संभव हैं। पिछले साल
पीएम मोदी की जगह
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने
UNGA को संबोधित किया था। इस
बार अगर पीएम मोदी
की यात्रा तय होती है,
तो यह भारत-अमेरिका
संबंधों को मजबूत करने
और वैश्विक मंच पर भारत
की स्थिति को और सशक्त
करने का एक महत्वपूर्ण
अवसर होगा।
सूत्रों
का कहना है कि
इस यात्रा की तैयारियां जोर-शोर से चल
रही हैं, और अगस्त
के अंत तक सभी
औपचारिकताएं पूरी हो सकती
हैं। यह यात्रा न
केवल व्यापार और कूटनीति के
लिहाज से, बल्कि वैश्विक
चुनौतियों पर भारत की
राय को सामने लाने
के लिए भी महत्वपूर्ण
होगी।
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