नेपाल में हिंसक प्रदर्शन: 18 की मौत, सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने की मांग

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नेपाल में हिंसक प्रदर्शन: 16 की मौत, सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने की मांग

नेपाल की राजधानी काठमांडू में सोमवार को भ्रष्टाचार और सरकार द्वारा लगाए गए सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ हजारों युवाओं, विशेष रूप से जेन-जेड प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। इस हिंसक झड़प में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। प्रदर्शनकारी संसद भवन की ओर बढ़े, जहां पुलिस के साथ उनकी हिंसक झड़प हुई।

 

प्रदर्शनकारी "भ्रष्टाचार बंद करो, सोशल मीडिया नहीं" और "सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाओ" जैसे नारे लगाते हुए राष्ट्रीय झंडे लहरा रहे थे। सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक, यूट्यूब और एक्स, को पंजीकरण करने के कारण शुक्रवार से ब्लॉक कर दिया था। इस कदम ने जनता में भारी रोष पैदा किया, क्योंकि ये प्लेटफॉर्म मनोरंजन, समाचार और व्यवसाय के लिए लाखों नेपाली नागरिकों द्वारा उपयोग किए जाते हैं।

 


विरोध प्रदर्शन का कारण

 

प्रदर्शनकारी केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ थे, बल्कि वे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आवाज उठा रहे थे। 27 वर्षीय छात्र आयुष बसयाल ने कहा "हमारा गुस्सा सिर्फ सोशल मीडिया प्रतिबंध तक सीमित नहीं है। हम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं, जो नेपाल में संस्थागत रूप ले चुका है।" प्रदर्शनकारियों ने श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों में हाल की जन-क्रांतियों से प्रेरणा ली, जहां भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलनों ने सरकारों को बदल दिया।

 

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, रबर बुलेट और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन के बैरिकेड तोड़ दिए और परिसर में प्रवेश करने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी। स्थानीय अस्पतालों ने घायलों की भारी भीड़ की सूचना दी, और कई अस्पतालों में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।

 

सरकार का रुख और प्रतिबंध रद्द होने की संभावना

 

नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को स्थानीय नियमों के तहत पंजीकरण करने का आदेश दिया था, जिसका पालन करने पर प्रतिबंध लगाया गया। हालांकि, हिंसक प्रदर्शनों और बढ़ते जन दबाव के बाद, सरकार अब इस प्रतिबंध को रद्द करने पर विचार कर रही है। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार इस फैसले को वापस ले सकती है ताकि स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके।

 

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रतिबंध का बचाव करते हुए कहा कि यह "राष्ट्रीय सम्मान" का मामला है और सरकार सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं, बल्कि अवैधता और अहंकार के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने एक साल से अधिक समय से कंपनियों को पंजीकरण के लिए कहा था, लेकिन उनकी अनदेखी की गई।

 

देशव्यापी प्रभाव

 

प्रदर्शन काठमांडू तक सीमित नहीं रहे; बीरतनगर, भरतपुर और पोखरा जैसे शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए। नेपाल में लगभग 90% आबादी इंटरनेट का उपयोग करती है, और सोशल मीडिया उनके दैनिक जीवन, शिक्षा और व्यवसाय का महत्वपूर्ण हिस्सा है। नेपाल के कंप्यूटर एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यह प्रतिबंध शिक्षा, व्यवसाय और संचार को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

 

आगे की राह

 

प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की है कि वह केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाए, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम भी उठाए। जेन-जेड समूह ने सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण ढंग से वापस लौटने और सुरक्षित रहने की अपील की है।

 

स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस हिंसा की निंदा की है और नेपाल सरकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने का आग्रह किया है। यह देखना बाकी है कि सरकार इस संकट को कैसे संभालती है और क्या वह जनता की मांगों को पूरा कर पाएगी।

 

 


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